- 1. परिचय
- यह संहिता पवन हंस लिमिटेड (एतद्द्वारा ‘’कम्पनी’’ के नाम से संदर्भित) ‘’निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के लिए व्यवसाय व्यवहार एवं आचार संहिता’’ के नाम से जानी जाएगी ।
- इस संहिता का उद्देश्य कम्पनी के कार्यों में आचार एवं पारदर्शिता का संवर्धन करना है ।
- इस संहिता का निर्माण निदेशक मंडल एवं वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा लोक उद्यम विभाग के दिशानिर्देशों का अनुसरण करने के उद्देश्य से विशेष रूप से किया गया है ।
- 2. परिभाषा तथा व्याख्या :
-
‘’निदेशक मंडल’’ शब्द से कम्पनी का निदेशक मंडल अभिप्रेत है ।
-
‘’पूर्णकालिक निदेशकों’’ अथवा ‘’कार्यात्मक निदेशकों’’ शब्द से कम्पनी के निदेशक मंडल के वो निदेशक अभिप्रेत हैं जो कम्पनी में पूर्णकालिक रोजगार पर कार्य कर रहे हैं ।
-
‘’अंशकालिक निदेशकों’’ शब्द का आशय कम्पनी के निदेशक मंडल में शामिल उन निदेशकों से हैं जो कम्पनी में पूर्णकालिक रोजगार नहीं कर रहे हैं ।
-
‘’संबंधी’’ शब्द का अभिप्राय वही है जो कम्पनी अधिनियम, 1956 के खंड 6 में दिया गया है ।
-
‘’वरिष्ठ प्रबंधन’’ शब्द से कम्पनी के वे कार्मिक अभिप्रेत हैं जो निदेशक मंडल के अलावा कम्पनी के मुख्य प्रबंधन दल के सदस्य हैं तथा इनमें वे सभी सदस्य शामिल हैं जो कार्यात्मक प्रमुखों सहित पूर्णकालिक निदेशकों से एक स्तर नीचे हैं ।
-
‘’कम्पनी’’ शब्द से पवन हंस लिमिटेड (कम्पनी का नाम) अभिप्रेत है ।
- 3. प्रयोजनीयता
- यह संहिता निम्नलिखित कार्मिकों के लिए लागू होगी :
-
कम्पनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सहित सभी पूर्णकालिक निदेशक
-
कानून के प्रावधानों के अंतर्गत स्वतंत्र निदेशकों सहित सभी अंशकालिक निदेशक
-
वरिष्ठ प्रबंधन
-
पूर्णकालिक निदेशकों तथा वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा कम्पनी की अन्य लागू / लागू किए जाने वाली नीतियों, नियमों तथा प्रक्रियाओं का पालन किया जाता रहेगा ।
- 4. संहिता की विषय वस्तु
-
सामान्य नैतिक अनिवार्यताएं
-
विशिष्ट व्यावसायिक उत्तरदायित्व
-
निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के लिए विशिष्ट अतिरिक्त प्रावधान
इस संहिता का उद्देश्य व्यावसायिक कार्य व्यवहार में नीतिपरक निर्णय लेने के आधार प्रदान करना है ।
इससे व्यावसायिक नैतिक मानकों के उल्लंघन से संबंधित विधिवत प्राप्त शिकायतों को उनके गुणों के आधार पर मूल्यांकन करने का आधार भी प्राप्त होगा ।
ऐसा माना गया है कि आचार संहिता में प्रयुक्त कुछ शब्दों तथा वाक्यों की विवेचन भिन्न हो सकती है ।
ऐसे मामले में कोई विवाद होने पर निदेशक मंडल का निर्णय अंतिम माना जाएगा ।
भाग - 1
1. सामान्य नैतिक अनिवार्यताएं
i. समाज तथा मानव कल्याण के कार्यों में योगदान
-
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में गुणवत्ता से संबंधित सिद्धांत स्वयंमेव मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता तथा सभी संस्कृतियों के प्रति सम्मान का द्योतक है । हमें प्रयास करते हुए यह सुनिश्चय कर लेना चाहिए कि हमारे श्रम से तैयार उत्पादों का प्रयोग सामाजिक उत्तरदायित्वों के निर्वाह के लिए इस प्रकार प्रयोग में लाया जाए कि जिससे समाज की आवश्यकताएं पूरी हो सकें तथा जिससे किसी के भी स्वास्थ्य अथवा किसी के भी आनन्द में कोई बाधा न पहुंचती हो । संरक्षित सामाजिक परिवेश में ही मानव की खुशहाली समाहित है ।
-
तदनुसार, निदेशक मंडल के सभी सदस्यों तथा कम्पनी के उत्पादों के डिजाइन , विकास, निर्माण और प्रोत्साहन के प्रति जवाबदेह वरिष्ठ प्रबंधन को मानवीय जीवन एवं पर्यावरण की संरक्षा के लिए विधिक एवं नैतिक उत्तरदायित्वों के प्रति स्वयं भी सजग रहना चाहिए और अन्यों को भी जागरूक करना चाहिए ।
ii. सत्यनिष्ठ एवं कर्त्तव्यनिष्ठ बनें और शुद्धता अपनाएं
-
सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी विश्वास के प्रमुख घटक हैं । विश्वास के बिना किसी भी संगठन के क्रियाकलाप प्रभावपूर्ण ढंग से नहीं किए जा सकते हैं ।
-
निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के सभी सदस्यों से सार्वजनिक उपक्रम के कार्यों का संचलन करते हुए वैयक्तिक एवं व्यावसायिक ईमानदारी, सत्यनिष्ठा एवं आचारपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की गई है ।
iii. निष्पक्ष बनें और पक्षपात न करें
-
समानता, असहिष्णुता, अन्यों के प्रति सम्मान के मूल्य, एवं समान न्यायशीलता के सिद्धांतों का पालन इसके लिए आवश्यक है । वर्ग, लिंग, धर्म, जाति, आयु, अक्षमता, राष्ट्रीयता अथवा ऐसे अन्य घटक के आधार पर किया जाने वाला भेदभाव इस संहिता के अंतर्गत सुस्पष्ट उल्लंघन है ।
iv. गोपनीयता बनाए रखें
-
सत्यनिष्ठा का सिद्धांत सूचनाओं के प्रति गोपनीयता बनाए रखने पर निर्भर है । विधिक अपेक्षाओं अथवा इस संहिता के अन्य सिद्धांतों के अनुसार गोपनीयता के उत्तरदायित्वों के प्रति सभी भागीदार विमुक्त किए जाने तक नैतिक रूप से उत्तरदायी होंगे ।
-
तदनुसार निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के सभी सदस्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के व्यवसाय तथा कार्यों के संबंध में प्रत्येक अप्रकाशित गोपनीय सूचना के प्रति गोपनीयता बरकरार रखेंगे ।
-
सतर्क रहें और कम्पनी के विकास और साख में संवर्धन के लिए प्रयासरत रहें ।
-
मूल्य संवर्धित योगदान से संगठन को गौरव प्रदान करें ।
- 2. 1. परिचय
- यह संहिता पवन हंस लिमिटेड (एतद्द्वारा ‘’कम्पनी’’ के नाम से संदर्भित) ‘’निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के लिए व्यवसाय व्यवहार एवं आचार संहिता’’ के नाम से जानी जाएगी ।
- इस संहिता का उद्देश्य कम्पनी के कार्यों में आचार एवं पारदर्शिता का संवर्धन करना है ।
- इस संहिता का निर्माण निदेशक मंडल एवं वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा लोक उद्यम विभाग के दिशानिर्देशों का अनुसरण करने के उद्देश्य से विशेष रूप से किया गया है ।
- 2. परिभाषा तथा व्याख्या ::
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‘’निदेशक मंडल’’ शब्द से कम्पनी का निदेशक मंडल अभिप्रेत है ।
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‘’पूर्णकालिक निदेशकों’’ अथवा ‘’कार्यात्मक निदेशकों’’ शब्द से कम्पनी के निदेशक मंडल के वो निदेशक अभिप्रेत हैं जो कम्पनी में पूर्णकालिक रोजगार पर कार्य कर रहे हैं ।
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‘’अंशकालिक निदेशकों’’ शब्द का आशय कम्पनी के निदेशक मंडल में शामिल उन निदेशकों से हैं जो कम्पनी कम्पनी में पूर्णकालिक रोजगार नहीं कर रहे हैं ।
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‘’संबंधी’’ शब्द का अभिप्राय वही है जो कम्पनी अधिनियम, 1956 के खंड 6 में दिया गया है ।
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‘’वरिष्ठ प्रबंधन’’ शब्द से कम्पनी के वे कार्मिक अभिप्रेत हैं जो निदेशक मंडल के अलावा कम्पनी के मुख्य प्रबंधन दल के सदस्य हैं तथा इनमें वे सभी सदस्य शामिल हैं जो कार्यात्मक प्रमुखों सहित पूर्णकालिक निदेशकों से एक स्तर नीचे हैं ।
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‘’कम्पनी’’ शब्द से पवन हंस लिमिटेड (कम्पनी का नाम) अभिप्रेत है ।
- 3. प्रयोजनीयता
- यह संहिता निम्नलिखित कार्मिकों के लिए लागू होगी :
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कम्पनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सहित सभी पूर्णकालिक निदेशक
-
कानून के प्रावधानों के अंतर्गत स्वतंत्र निदेशकों सहित सभी अंशकालिक निदेशक
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वरिष्ठ प्रबंधन
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पूर्णकालिक निदेशकों तथा वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा कम्पनी की अन्य लागू / लागू किए जाने वाली नीतियों, नियमों तथा प्रक्रियाओं का पालन किया जाता रहेगा ।
- 4. संहिता की विषय वस्तु
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सामान्य नैतिक अनिवार्यताएं
-
विशिष्ट व्यावसायिक उत्तरदायित्व
-
निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के लिए विशिष्ट अतिरिक्त प्रावधान
इस संहिता का उद्देश्य व्यावसायिक कार्य व्यवहार में नीतिपरक निर्णय लेने के आधार प्रदान करना है ।
इससे व्यावसायिक नैतिक मानकों के उल्लंघन से संबंधित विधिवत प्राप्त शिकायतों को उनके गुणों के आधार पर मूल्यांकन करने का आधार भी प्राप्त होगा ।
ऐसा माना गया है कि आचार संहिता में प्रयुक्त कुछ शब्दों तथा वाक्यों की विवेचन भिन्न हो सकती है ।
ऐसे मामले में कोई विवाद होने पर निदेशक मंडल का निर्णय अंतिम माना जाएगा ।
भाग - 1
1. सामान्य नैतिक अनिवार्यताएं
i. समाज तथा मानव कल्याण के कार्यों में योगदानg
-
प्रत्येक मनुष्य के जीवन में गुणवत्ता से संबंधित सिद्धांत स्वयंमेव मानवाधिकारों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता तथा सभी संस्कृतियों के प्रति सम्मान का द्योतक है । हमें प्रयास करते हुए यह सुनिश्चय कर लेना चाहिए कि हमारे श्रम से तैयार उत्पादों का प्रयोग सामाजिक उत्तरदायित्वों के निर्वाह के लिए इस प्रकार प्रयोग में लाया जाए कि जिससे समाज की आवश्यकताएं पूरी हो सकें तथा जिससे किसी के भी स्वास्थ्य अथवा किसी के भी आनन्द में कोई बाधा न पहुंचती हो । संरक्षित सामाजिक परिवेश में ही मानव की खुशहाली समाहित है ।
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तदनुसार, निदेशक मंडल के सभी सदस्यों तथा कम्पनी के उत्पादों के डिजाइन , विकास, निर्माण और प्रोत्साहन के प्रति जवाबदेह वरिष्ठ प्रबंधन को मानवीय जीवन एवं पर्यावरण की संरक्षा के लिए विधिक एवं नैतिक उत्तरदायित्वों के प्रति स्वयं भी सजग रहना चाहिए और अन्यों को भी जागरूक करना चाहिए ।
ii. सत्यनिष्ठ एवं कर्त्तव्यनिष्ठ बनें और शुद्धता अपनाएं
-
सत्यनिष्ठा एवं ईमानदारी विश्वास के प्रमुख घटक हैं । विश्वास के बिना किसी भी संगठन के क्रियाकलाप प्रभावपूर्ण ढंग से नहीं किए जा सकते हैं ।
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निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के सभी सदस्यों से सार्वजनिक उपक्रम के कार्यों का संचलन करते हुए वैयक्तिक एवं व्यावसायिक ईमानदारी, सत्यनिष्ठा एवं आचारपूर्ण व्यवहार की अपेक्षा की गई है ।
iii. निष्पक्ष बनें और पक्षपात न करें
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समानता, असहिष्णुता, अन्यों के प्रति सम्मान के मूल्य, एवं समान न्यायशीलता के सिद्धांतों का पालन इसके लिए आवश्यक है । वर्ग, लिंग, धर्म, जाति, आयु, अक्षमता, राष्ट्रीयता अथवा ऐसे अन्य घटक के आधार पर किया जाने वाला भेदभाव इस संहिता के अंतर्गत सुस्पष्ट उल्लंघन है ।
iv. गोपनीयता बनाए रखें
-
सत्यनिष्ठा का सिद्धांत सूचनाओं के प्रति गोपनीयता बनाए रखने पर निर्भर है । विधिक अपेक्षाओं अथवा इस संहिता के अन्य सिद्धांतों के अनुसार गोपनीयता के उत्तरदायित्वों के प्रति सभी भागीदार विमुक्त किए जाने तक नैतिक रूप से उत्तरदायी होंगे ।
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तदनुसार निदेशक मंडल तथा वरिष्ठ प्रबंधन के सभी सदस्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के व्यवसाय तथा कार्यों के संबंध में प्रत्येक अप्रकाशित गोपनीय सूचना के प्रति गोपनीयता बरकरार रखेंगे ।
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सतर्क रहें और कम्पनी के विकास और साख में संवर्धन के लिए प्रयासरत रहें ।
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मूल्य संवर्धित योगदान से संगठन को गौरव प्रदान करें ।